GST e-invoice kya hai:- 1 अगस्त 2023 से सरकार ने 5 करोड़ रुपए से अधिक सालाना टर्नओवर वाले B2B कारोबारियों को ई-इनवॉइस (E-Invoicing) करना अनिवार्य कर दिया है। B2B सौदों से मतलब, ऐसे सौदे होते हैं, जोकि एक कारोबारी से दूसरे कारोबारी के बीच होते हैं। जीएसटी ई-इन्वॉयस को 1 अगस्त 2023 से व्यवस्था पूरे देश में अनिवार्य रूप से लागू कर दी गयी है। इसके अलावा, 100 करोड़ से अधिक सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों को हर सौदे की ई-इनवाॅयस को 7 दिन के अंदर अपलोड करना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
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आइये इस आर्टिकल के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं कि GST e-invoice क्या है इसे कैसे तैयार किया जाता है और इसका कितना महत्व है कारोबारी एवं ग्राहकों को कैसे फायदा पहुंचाता है
जीएसटी ई-इनवाॅयस किसे कहते है What is GST E-Invoice
GST में e-invoicing एक प्रणाली है जिसमें GSTN नेटवर्क किसी सामान्य खरीद रसीद को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित करता है। ऐसी हर रसीद को जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) से एक विशिष्ट नंबर या पहचान संख्या भी दी जाती है। इस प्रक्रिया को GST में E-invoicing या E-invoice भी कहा जाता है। E-Invoicing सिस्टम लागू होने से टैक्स चोरी की संभावना नहीं रहती, क्योंकि सभी सौदों की जानकारी सरकार को ऑनलाइन और तुरंत मिलती रहती है। विशेष रूप से फर्जी बिल बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
ERP क्या है इससे E-Invoice कैसे तैयार करते है
ERP पूरा अर्थ है Enterprise Resource Planning है, यह एक सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी पर आधारित मैनेजमेंट सिस्टम है जिसमें कंपनी की विभिन्न गतिविधियों से संबंधित डाटा को संग्रहित, स्टोर, नियंत्रित और प्रदर्शित करने की क्षमता होती है। E-Invoice पहले किसी ERP या accounting software पर बनाया जाता हैं, इन्हें वहां से Invoice Registration Portal (IRP) पर सत्यापन के लिए अपलोड करके जमा कर दिया जाता है।
E-Invoice सिस्टम से GST portal और E-way bill पोर्टल पर आटोमेटिक हो दर्ज होते
GST portal और E-way bill portal भी GST और einvoice1.gst.gov.in पर तुरंत भेजे जाते हैं। इसके दो लाभ होते है पहला रिटर्न GSTR-1 भरने के लिए अलग से एंट्री नहीं करनी पड़तीऔर दूसरा ई-वे बिल का भाग-A भी स्वयं भर जाता है।
दो सौदों के बीच e-invoice सिस्टम अनिवार्य
सिर्फ दो बिजनेस के बीच होने वाले सौदे (B2B) में ई-बिल लागू होता है। इसका उपयोग माल (goods) या सेवा (services) या दोनों के रूप में किया जा सकता है। टैक्स चोरी को रोकने के लिए e-invoicing system बनाया गया है। लेकिन जीएसटी के रिटर्न भरने और पहले किए गए सौदों में किसी बदलाव के बाद समझौते की समस्या को हल करने में यह भी बहुत फायदेमंद साबित हुआ है।
GST e-invoice जीएसटी पोर्टल पर नहीं बनाई जाती
GST portal पर ई-इनवॉइस बनाने को अक्सर e-invoice समझा जाता हैं, लेकिन वास्तव में इसका मतलब सिर्फ जीएसटी नेटवर्क (GSTN) द्वारा किसी पहले से बनाई गई रसीदों को सत्यापित करना है. ये रसीदें आम तौर पर ERP या accounting software पर बनाई जाती हैं हर रसीद का सत्यापन होने के बाद उसके लिए IRN नंबर जारी होता है।
GST e-invoice जारी नहीं करने पर पेनाल्टी
सरकार द्वारा निर्धारित टर्नओवर लिमिट वाली कंपनी या बिजनेस ई-बिल सिस्टम को अपने लागू करने पर जुर्माना लगेगा। उससे 10 हजार रुपए प्रति रसीद (बिल) का जुर्माना या पूरा बकाया टैक्स वसूला जा सकता है। दोनों में से जो अधिक होगा, उसे भुगतान करना होगा, इसके अलावा, गलत (incorrect) और अपूर्ण (incomplete) रसीदें जारी की जाएंगी अगर रसीदों पर IRN नंबर और साइन किया हुआ QR code नहीं है। ऐसा करने वालों से 25 हजार रुपये प्रति रसीद वसूला जाएगा।
GST e-invoice के लिए टर्नओवर की लिमिट
- 10 करोड़ रुपए से अधिक का टर्नओवर वाले व्यवसायों या कंपनियों को B2B (Business-to-business) लेन-देन में ई-इनवॉइस चाहिए।
- 1 अगस्त 2023 से, 5 करोड़ सालाना टर्नओवर वाले व्यवसायों और कंपनियों के लिए भी GST e-invoice अनिवार्य हो जाएगा।
- जिसके कुछ समय बाद एक करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों और कंपनियों पर भी लागू होना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक व्यापारियों को E-Invoicing सिस्टम के दायरे पर लाया जा सके।
जीएसटी रिटर्न में आटोमेटिक दर्ज हो जाते हैं विवरण
आप की ओर से हस्ताक्षर किया गया ई-बिल की जानकारी जीएसटी सिस्टम (GST) में भेजी जाती है या ऑनलाइन भेजी जाती है। यह डाटा मैं स्वयं दर्ज करता हूँ, पहले वस्तु या सामान की बिक्री करने वाले (विक्रेता) के रिटर्न GSTR-1। डाटा खरीदारी करने वाले का जवाब भी GSTR-2B/ 2A में स्वचालित रूप से दर्ज होता है। क्योंकि सभी रजिस्टर्ड कारोबारियों के जीएसटी अकाउंट जीएसटी नंबर से लिंक हैं।
GST e-invoice बनाने की प्रक्रिया
जीएसटी के तहत किसी सप्लाई के लिए ई-बिल बनाने में आपको मुख्य रूप से तीन स्टेप्स पूरे करने होंगे।
- किसी ERP या अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर पर बिल बनाना
- रसीद को IRN नंबर जारी होना
- GST e-invoice का QR कोड बनाना
किसी ERP या अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर पर बिल बनाना
जीएसटी सिस्टम में GST e-invoice अपलोड किया जाता है, उसमें निर्दिष्ट क्रम और फॉर्मेट में कुछ अनिवार्य जानकारियां भरी जानी चाहिए। तब GST Network का Invoice Registration Portal इसे स्वीकार करेगा और सत्यापित करेगा जो निम्नलिखित है।
- बिल टाइप कोड: (जैसे INV, CRN और DBN)
- सप्लायर का नाम, जो उसके पैन कार्ड में है
- ई-बिल जारीकर्ता का GSTIN नंबर
- सप्लायर का पता: (बिल्डिंग नंबर या फ्लैट नंबर, सड़क या गली संख्या, शहर, नगर या गांव आदि)
- सप्लायर राज्य का कोड (GSTN नेटवर्क द्वारा)
- उत्पाद का पिन कोड संख्या (GSTN नेटवर्क द्वारा)
- यूनिक इनवॉइस नंबर
- पिछला यूनिक इनवॉइस नंबर
- डॉक्यूमेंट जारी करने की तारीख (YYYY-MM-DD फॉर्मेट में)
- सप्लाई प्राप्त करने वाले खरीददार का नाम
- खरीददार का पता, जैसे-बिल्डिंग नंबर, फ्लैट नंबर, सड़क या गली संख्या, शहर, नगर या गांव आदि
- खरीददार का GSTIN नंबर
- खरीददार के राज्य का नाम
- खरीददार की स्थानीय पिन कोड
- इन्वॉइस रिफरेंस नंबर (IRN)
- शिपिंग के लिए GSTIN नंबर
- शिपिंग से संबंधित राज्य और स्थान का पिन कोड
- माल का नाम, पता, स्थान और पिन कोड आदि
- सप्लाई में सेवाओं की सप्लाई हो तो उल्लेख करना चाहिए
- वितरण प्रकार का कोड
- आइटम विवरण
- HSN कोड: मुख्य उत्पादों और सेवाओं को एचएसएन कोड देना आवश्यक है
- Item_Price: बिना GST के सप्लाई होने वाले उत्पादों की लागत
- Evaluable Value: डिस्काउंट के बाद (GST के बिना) मूल्य अगर किसी उत्पाद की कीमत में छूट मिलती है
- GST दर: वितरित उत्पादों पर लागू जीएसटी दर
- Total Bill Value (IGST, CGST और SGST Value) सहित कुल खर्च
रसीद को IRN नंबर जारी होना
ऊपर बताई गई जानकारी सबमिट करने पर GST e-invoice system उस रसीद का सत्यापन करता है और उसके लिए एक एकल IRN नंबर जारी करता है। E-bill system hash generation algorithm का उपयोग करके यह संख्या जारी करता है, इसलिए इसे hash भी कहा जाता है। प्रत्येक डाक्यूमेंट का IRN नंबर 64 अंकों का होता है। यह सप्लायर का GSTIN, अंतिम वर्ष, दस्तावेज प्रकार, दस्तावेज संख्या और अन्य विवरणों को शामिल करके बनाया जाता है। फिलहाल, IRN संख्या जारी करने के दो तरीके हैं।
- API-आधारित प्रणालियों की मदद से
- ऑफलाइन टूल का प्रयोग करके
GST e-invoice का QR कोड बनाना
अब GST e-invoice system उस सौदे का IRN नंबर बनाएगा इसके बाद, वह ई-बिल पर डिजिटल साइन करेगा और उससे संबंधित QR code बनाएगा। इस QR code से किसी भी समय उस इनवॉइस के विवरण और सत्यापन देख सकेंगे।
डिजिटल रूप से साइन किए हुए QR code के साथ, जो एक विशिष्ट IRN (hash) नंबर भी है केंद्रीय जीएसटी पोर्टल ही इसे सत्यापित कर सकता है। साथ ही, ऑफलाइन एप्स की मदद से भी इसे सत्यापित (प्रमाणित) किया जा सकता है। IRN की इस विशिष्ट विशेषता से टैक्स अधिकारियों को आसानी होती है। वे इसकी मदद से किसी आइटम का सत्यापन कर सकते हैं जहां इंटरनेट नहीं है। विशेष IRN उपयोगी साबित होता है क्योंकि हाईवेज पर दूर-दराज के इलाकों में इंटरनेट उपलब्धता नहीं हो सकती है।
GST e-invoice क्या होता है?
GST में e-invoicing एक प्रणाली है जिसमें GSTN नेटवर्क किसी सामान्य खरीद रसीद को इलेक्ट्रॉनिक रूप से सत्यापित करता है। ऐसी हर रसीद को जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (IRP) से एक विशिष्ट नंबर या पहचान संख्या भी दी जाती है। इस प्रक्रिया को GST में E-invoicing या E-invoice भी कहा जाता है।
GST e-invoice को कब से अनिवार्य किया गया?
जीएसटी ई-इन्वॉयस को 1 अगस्त 2023 से व्यवस्था पूरे देश में अनिवार्य रूप से लागू कर दी गयी है।
कितने करोड़ के टर्नओवर पर ई-इन्वॉइसिंग अनिवार्य है?
5 करोड़ तक
क्या एक करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कंपनियों एवं कारोबारी को ई-इन्वॉइसिंग सिस्टम की आवश्यकता है?
जी अभी नहीं, परंतु कुछ समय बाद एक करोड़ सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों और कंपनियों पर भी लागू होना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक व्यापारियों को E-Invoicing सिस्टम के दायरे पर लाया जा सके।
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