(ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे शुरू करें, ड्रैगन फ्रूट क्या है, ड्रैगन फ्रूट के फायदे, ड्रैगन फ्रूट के लिए मिट्टी मौसम एवं जलवायु, खर्च, होने वाली कमाई, मार्केटिंग कैसे करें)
ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे शुरू करें- दोस्तों, अब बहुत से लोग परंपरागत खेती को छोड़कर व्यवसायिक खेती को अपनाने लगे हैं क्योंकि परंपरागत खेती में लाभ कम और मिट्टी की उर्वरा शक्ति उस फसल के लिए धीरे धीरे कम होना एवं बढती बेरोजगारी आदि ने लोगों का रुझान व्यावसायिक खेती की तरफ तेजी से खींचा है ऐसे ही एक व्यवसायिक और लाभदायक फल की खेती हम आपको बताने जा रहे है वह है ड्रैगन फ्रूट की खेती, भारत के कई राज्यों में इसकी खेती करके बहुत से किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं।
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क्योंकि यह एक ऐसा फल है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ ही इसका पेड़ एक बार लगाने के बाद कई सालों तक लगातार फल देता रहता है जिसकी मार्केट में वर्षभर खूब डिमांड रहती है जो मार्केट में काफी महंगा भी बिकता है तो आइए इस आर्टिकल की मदद से यह जानने की कोशिश करते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे करें खेती की विधि, कितना लागत लगने वाला है, कितना लाभ होने वाला है, कैसे इसकी मार्केटिंग करते हैं आदि सभी बातों का अध्ययन करते हैं।
ड्रैगन फ्रूट क्या है What is dragon fruit?
ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार का कैक्टस फल है इसका वैज्ञानिक नाम हिलोसेरस अंडस है भारत में इसे कमलम फल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसकी आकृति कमल के फूल के समान होती है। इसका वजन औसतन 200 से 400 ग्राम होता है ड्रैगन फ्रूट दो प्रकार का पहला सफेद गूदा वाला और दूसरा लाल गूदा वाला होता हैं। इसके सुगंधित फूल सिर्फ रात में ही खिलते हैं और सुबह तक गिर जाते हैं यह फल बहुत सारी बीमारियों के लिए लाभदायक होता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती सबसे पहले दक्षिण अमेरिका में शुरू होकर धीरे धीरे कई देशों में फैल गयी। भारत में इसकी खेती 1990 से 2000 के दशक में शुरू हुई और अब कई राज्यों जैसे- गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड़, छत्तीसगढ आदि में इसकी खेती करके किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं।
ड्रैगन फ्रूट सेवन करने के फायदे Benefits of consuming dragon fruit?
ड्रैगन फ्रूट का उपयोग करने से बीमारी खत्म नहीं होती है लेकिन काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है यह फल हर व्यक्ति के हर व्यक्ति के शरीर के लिए इम्यूनिटी बूस्टर का काम करता है ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर, लो-कैलोरी और हाई-फाइबर, ओमेगा-3 और ओमेगा-9 फैटी एसिड्स आदि महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत लाभदायक होते हैं।
अगर आप ड्रैगन फ्रूट का बराबर उपयोग करते हैं इससे बहुत-सी बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है ड्रैगन फ्रूट के उपयोग से ब्लड में शुगर, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल एवं यूरिक एसिड की मात्रा को नियंत्रित करता है जिससे डायबिटीज और हार्ड अटैक का खतरा कम हो जाता है इसका सेवन ह्रदय रोगियों, कैंसर रोगियों एवं गठिया रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है यह आपके पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और बाल और त्वचा से संबंधित बीमारियों को भी कम करता है। इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट का उपयोग जेली, जैम, शेक, सलाद और मुरब्बा आदि बनाने में किया जाता है।
कैसे शुरू करें ड्रैगन फ्रूट की खेती?
ड्रैगन फ्रूट की खेती ऊंचे स्थान पर जहां पानी का जमाव नहीं होता हो वहां कर सकते हैं ड्रैगन फ्रूट का पौधा लगाने से पहले कल्टीवेटर और रोटावेटर खेत की जुताई करके खेत को समतल बना दें और खेत में जैविक खाद, उर्वरक आदि मिलाकर खेत अच्छे से तैयार कर लें उसमें खरपतवार बिल्कुल न हो उसके बाद 8 से 10 फुट की दूरी पर कम से कम 6 फीट ऊँचाई वाले खम्भों को लगाएं और एक खंभे पर औसतन 4 पौधे लगा सकते हैं और एक एकड़ में 1400-1500 पेंड लगा सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट का पौधा गुजरात से एक पौधे का मूल्य 70 रुपए है लगाने के 2 साल के अंदर-अंदर इसमें फल आने लगते है एक ड्रैगन फ्रूट का वजन 200 से 400 ग्राम होता है एक पेड़ में 8 से 10 किलो फल लगता है ड्रैगन फ्रूट का पेंड़ 1 साल में 7 से 8 महीने तक फल देता रहता है।
ड्रैगन फ्रूट के लिए मिट्टी, मौसम एवं जलवायु
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.5–7 है। ड्रैगेन फ्रूट की खेती के लिए 30 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान सही रहता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए ना ज्यादा ठंडी और ना ज्यादा वर्षा ना ज्यादा गर्मी ही चाहिए यह बलुई दोमट मिट्टी, दोमट मिट्टी और कई तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है। लेकिन इसकी अच्छी फसल के लिए बेहतर जीवाश्म और जल निकासी वाली बलुई मिट्टी सबसे अच्छी है।
ड्रैगन फ्रूट के लिए सिंचाई, खाद एवं रख-रखाव?
ड्रैगन फ्रूट पौधे को बहुत पानी नहीं चाहिए। पौधे लगाने के बाद इसकी पहली हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसके बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई कर सकते हैं। लेकिन खेत में पानी भरने से बचने के लिए हल्की सिंचाई और अच्छी निकासी व्यवस्था होनी चाहिए। ड्रिप सिंचाई या फव्वारा सिंचाई दोनों प्रकार की सिंचाई का उपयोग कर सकते हैं।
ड्रेगन फ्रूट पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए जीवाश्म तत्व आवश्यक हैं 10 से 15 किलो जैविक कंपोस्ट या जैविक उर्वरक प्रत्येक पौधों को बढ़ावा देंगे। इसके बाद, हर साल दो किलो जैविक खाद दी जानी चाहिए। रायायनिक खाद भी इसकी फसल के समुचित विकास के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वानस्पतिक अवस्था में इसका रासायनिक खाद प्रति पौधा 40–90–70 ग्राम होता है। फल लगने पर पौधों को कम नाइट्रोजन और अधिक पोटाश देना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगने वाला खर्च?
ड्रैगन फ्रूट की खेती में खर्च की बात करें तो ड्रैगन फ्रूट के पौधे का खर्च पिलर और रिंग बनाने का खर्च खाद जुताई सिंचाई आदि कुल मिलाकर अगर आप एक बीघा जमीन से शुरू करते हैं तो 80000 से ₹100000 तक की आवश्यकता पड़ सकती है।
ड्रैगन फ्रूट से कितनी कमाई हो सकती है?
ड्रैगन फ्रूट थोक मार्केट में रुपए प्रति फ्रूट हुआ ₹300 प्रति किलो का भाव आराम से मिल जाएगा अगर आप फुटकर में अपने आसपास के मार्केट में फल के दुकानों पर स्वयं जाकर बेचते हैं तो 200 से 250 रूपये प्रति फ्रूट आराम से बिक जाएगा।
ड्रैगन फ्रूट की मार्केटिंग कैसे करें?
ड्रैगन फ्रूट की खेती में मार्केटिंग बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से मार्केटिंग कर सकते हैं।
समाचार पत्रों, मैगजीनों, बैनर, पोस्टरों आदि का सहारा लेकर अपनी कंपनी का विजिटिंग कार्ड बनाकर दुकानदारों को बेच सकते हैं, लेकिन ऑफलाइन मार्केटिंग भी कर सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट के बारे में जानकारी, फोटो और वीडियो डालकर और फेसबुक, यूट्यूब, टीवी चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन डालकर ऑनलाइन मार्केटिंग कर सकता है। ऑनलाइन बिक्री के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइटओं (BTC) Amazon, flipcart, meesho का इस्तेमाल कर सकते हैं।